26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड में स्वदेशी व आधुनिक हथियारों की बेहतरीन झलक देखने को मिली। परंपरा के अनुसार सबसे पहले राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और उसके बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान हुआ। यह पहली बार है जब 21 तोपों की सलामी 105 मिमी की भारतीय फील्ड गन से दी गई। इसने पुरानी 25 पाउंडर बंदूक की जगह ली है, जो रक्षा क्षेत्र में बढ़ती भारतीय 'आत्मनिर्भरता' को प्रदर्शित करती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 26 जनवरी को नई दिल्ली में कर्तव्य पथ से 74वें गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्र का नेतृत्व किया। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी परेड में मुख्य अतिथि रहे। खास बात यह रही कि मिस्र की सैनिक टुकड़ी ने कर्नल महमूद मोहम्मद अब्देल फत्ताह एल खारासावी के नेतृत्व में पहली बार कर्तव्य पथ पर मार्च किया।
Published: undefined
मिस्र की सैन्य टुकड़ी से कदमताल व कर्तव्य पथ पर मार्च करते हुए मिस्र के सशस्त्र बलों का संयुक्त बैंड भी माचिर्ंग में मौजूद रहा। मिस्र के माचिर्ंग दल में कुल 144 सैनिक शामिल हुए, जो मिस्र के सशस्त्र बलों की मुख्य शाखाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
लगभग 10 बजकर 30 मिनट पर शुरू हुई गणतंत्र दिवस परेड, देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विविधता का एक अनूठा मिश्रण रही, जिसने देश की बढ़ती स्वदेशी क्षमताओं, नारी शक्ति और एक 'न्यू इंडिया' के उद्भव को प्रदर्शन किया। परेड समारोह की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाने के साथ हुई। इसके बाद, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति परेड देखने के लिए कर्तव्य पथ पर सलामी मंच पर पहुंचें।
Published: undefined
परेड की शुरूआत राष्ट्रपति की सलामी लेने के साथ हुई। परेड की कमान परेड कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, अति विशिष्ट सेवा मेडल, दूसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी संभाल रहे थे। मुख्यालय दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल भवनीश कुमार परेड सेकेंड-इन-कमांड थे।
सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों के गौरवशाली विजेता उनके पीछे-पीछे आए। इनमें परमवीर चक्र और अशोक चक्र के विजेता शामिल हैं। परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर (मानद कप्तान) बाना सिंह, 8 जेएके एलआई (सेवानिवृत्त); सूबेदार मेजर (मानद कप्तान) योगेंद्र सिंह यादव, 18 ग्रेनेडियर्स (सेवानिवृत्त) और सूबेदार (मानद लेफ्टिनेंट) संजय कुमार, 13 जेएके राइफल्स और अशोक चक्र विजेता मेजर जनरल सीए पीठावाला (सेवानिवृत्त), जीप पर डिप्टी परेड कमांडर के पीछे कर्नल डी श्रीराम कुमार और लेफ्टिनेंट कर्नल जस राम सिंह (सेवानिवृत्त) थे।
Published: undefined
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक परम वीर चक्र, शत्रु के सामने बहादुरी और आत्म-बलिदान के सबसे विशिष्ट कार्य के लिए प्रदान किया जाता है, जबकि अशोक चक्र, वीरता और इसके अलावा, दुश्मन के सामने आत्म-बलिदान के समान कार्यों को सम्मान देने के लिए प्रदान किया जाता है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined