टीम इंडिया के दिग्गज खिलाड़ी एमएस धोनी का विश्व कप में विकेटकीपिंग गलव्स पर ‘बलिदान बैज’ पहनकर खेलने का विवाद जारी है। आईसीसी की दखलअंदाजी के बाद बीसीसीआई धोनी के पक्ष में खड़ा है। जिसके बाद अब क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था यू-टर्न लेते नजर आ रही है।
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प्रशासकों की समिति (सीओए) ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से अपील करते हुए कहा कि वे विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के दस्तानों पर बने सेना के चिह्न को मंजूरी दे। बता दें कि इंग्लैंड एंड वेल्स में जारी विश्व कप में भारत के पहले मैच में धोनी को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विकेटकीपिंग दस्तानों पर भारतीय पैरा स्पेशल फोर्स के चिह्न का इस्तेमाल करते देखा गया था। इसके बाद, आईसीसी ने बीसीसीआई से कहा था कि वह धोनी के दस्तानों पर से यह चिह्न हटवाए।
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मुंबई में शुक्रवार को सीओए की बैठक में एक सदस्य ने कहा कि मंजूरी की मांग की गई है ताकि धोनी अपने दस्तानों को पहन सके।
सदस्य ने कहा, “हां, हमें धोनी के चिह्न को लेकर जारी विवाद के बारे में पता है, लेकिन इससे किसी प्रकार की राजनीतिक या धार्मिक संवेदनाएं नहीं जुड़ी हुई है और हमने आईसीसी से मांग की है कि धोनी को चिह्न वाले दस्ताने पहनने की आज्ञा दी जाए।”
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आईसीसी के एक अधिकारी ने कहा कि परिषद को अगर बीसीसीआई यह समझाने में सफल हो पाता है कि 'बलिदान ब्रिगेड के चिह्न्' से किसी प्रकार की राजनीतिक या धार्मिक संवेदनाएं नहीं जुड़ी हुई है तो बोर्ड के अपील पर विचार किया जा सकता है। आईसीसी के महाप्रबंधक, रणनीति समन्वय, क्लेयर फरलोंग ने कहा था, “हमने बीसीसीआई से इस चिह्न् को हटवाने की अपील की है।”
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धोनी के दस्तानों पर 'बलिदान ब्रिगेड' का चिह्न् है। सिर्फ पैरामिलिट्री कमांडो को ही यह चिह्न् धारण करने का अधिकार है। धोनी को 2011 में पैराशूट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल के मानद उपाधी मिली थी। धोनी ने 2015 में पैरा ब्रिगेड की ट्रेनिंग भी ली है। इस पर हालांकि सोशल मीडिया पर धोनी की काफी तारीफ हो रही है, लेकिन आईसीसी की सोच और नियम अलग हैं।
आईसीसी के नियम के मुताबिक, “आईसीसी के कपड़ों या अन्य चीजों पर अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान राजनीति, धर्म या नस्लभेदी जैसी चीजों का संदेश नहीं होना चाहिए।”
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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