
निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू कर दिया। वहीं पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी ने निर्वाचन आयोग को पक्षपाती करार देते हुए एसआईआर को ‘धोखाधड़ी’ करार दिया है।तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके और उसके सहयोगी दल भी एसआईआर का विरोध कर रहे हैं।
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वहीं, चुनाव आयोग ने कहा कि उसके मतदान केंद्र अधिकारियों (बीएलओ) ने मतदाताओं को फॉर्म सौंपना शुरू कर दिया है और वे फार्म भरने में लोगों की मदद भी करेंगे। निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, एसआईआर गणना चरण से शुरू होगा और 4 दिसंबर तक चलेगा। आयोग 9 दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी को प्रकाशित की जाएगी। बिहार के बाद, यह एसआईआर का दूसरा चरण है। बिहार की अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित हुई थी। उसमें लगभग 7.42 करोड़ नाम शामिल हैं।
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दूसरे चरण में जिन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर किया जाएगा, उनमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्यप्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में चुनाव होंगे। असम में भी 2026 में चुनाव होने हैं, लेकिन वहां मतदाता सूची में संशोधन की घोषणा नहीं की गई है। कहा गया है कि असम के लिए अलग से घोषणा की जाएगी क्योंकि राज्य में नागरिकता सत्यापित करने के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कवायद चल रही है। इसके अलावा, नागरिकता अधिनियम का एक अलग प्रावधान असम पर लागू है।
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पश्चिम बंगाल में इस प्रक्रिया को लेकर बढ़ते राजनीतिक तापमान के बीच एसआईआर की शुरुआत हुई। यह कवायद 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक विवाद में बदल गई। एक तरफ बीजेपी और निर्वाचन आयोग हैं जबकि दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस है। बीजेपी निर्वाचन आयोग की इस प्रक्रिया के पक्ष में है जबकि तृणमूल कांग्रेस उसके विरूद्ध खड़ी है।
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बीजेपी ने मतदाता सूची में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम के रूप में एसआईआर का स्वागत किया है। लेकिन सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इसके समय और इरादे पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग बीजेपी के दबाव में आकर अगले साल राज्य में होने वाले चुनाव से पहले मतदाता सूची में हेरफेर का प्रयास कर रहा है। टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने निर्वाचन आयोग को पक्षपाती करार देते हुए एसआईआर को ‘धोखाधड़ी भरा काम’ बताया।
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इसके अलावा, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) ने एसआईआर के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में इसे वास्तविक ‘एनआरसी’ करार दिया है और इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। तमिलनाडु के इस सत्तारूढ़ दल ने 27 अक्टूबर, 2025 को एसआईआर पर निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की गई अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है। हालांकि, राज्य की मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक इस प्रक्रिया का समर्थन करती है। अन्नाद्रमुक बीजेपी की सहयोगी है।
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