हालात

'जिस साल शुरू हुई पेगासस जासूसी उसी साल साइबर रिसर्च के नाम पर NSCS का बजट 33 से बढ़ाकर 333 करोड़ किया गया, आखिर क्यों!'

पेगासस जासूसी प्रकरण पर कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि आखिर 2017-18 में एनएससीएस के बजट को 33 करोड़ से बढ़ाकर साइबर सिक्योरिटी रिसर्च के नाम पर 333 करोड़ क्यों किया गया, जबकि सूचना तकनीक मंत्रालय में पहले से यह विभाग मौजूद है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया  

कांग्रेस ने पेगासस जासूसी कांड पर सरकार से एक और सवाल पूछा है। कांग्रेस ने कहा है कि इस प्रकरण में तमाम खुलासे हो रहे हैं और अभी तक सरकार ने यह साफ जवाब नहीं दिया है कि उसने पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा है या नहीं। शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेस में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि, “अलग-अलग मंत्री, भूतपूर्व मंत्री, अलग-अलग जुबां में बात करते हैं। हमने थोड़ी रिसर्च की, तो उसमें एक बड़ा चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है।“ उन्होंने कहा कि जिन वर्षों में पेगासस जासूसी शुरु हुई उन्हीं वर्षों में यानी 2017-18 में गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट का बजट 33 करोड़ से बढ़ाकर 333 करोड़ रुपए कर दिया गया।

पवन खेड़ा ने बताया कि इस सेक्रेटरिएट का काम प्रशासनिक और कोआर्डिनेशन का है जो नेशनल सिक्यूरिटी काउंसिल को सेवाएं देता है। लेकिन 2017-18 में इसमें एक नया विभाग या हेड जोड़ा गया जिसे साइबर सिक्योरिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट का नाम दिया गया। उन्होंने बताया कि चौंकाने वाली सिर्फ बजट बढ़ाना ही नहीं है, बल्कि यह भी है कि यही विभाग पहले से सूचनात तकनीक मंत्रालय में है और उसका अलग बजट है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल पूछा कि आखिर एक नया हैड इसमें क्यों डाला गया, साइबर सिक्योरिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के नाम से और 33 करोड़ के बजट को 333 करोड़ रुपए क्यों किया और ये भी 2017-18 में, जब ये जासूसी प्रकरण आरंभ हुआ?

पवन खेड़ा ने कहा कि, “आपने देखा कि रोज खुलासे हो रहे हैं, कभी पत्रकारों के, महिला पत्रकारों के, सरकारी ब्यूरोक्रेट, बड़े वरिष्ठ अधिकारी, जो कि हमारी सीबीआई को देखते थे, सीबीआई के डायरेक्टर थे और सीबीआई में और बड़े अधिकारी थे, उन सब लोगों के और उनके परिवार के सदस्यों, उनके परिवार की महिलाओं के, सबके कैमरा में सरकार ने अपना जासूसी स्पाईवेयर डाल दिया और उनकी तमाम गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी।“ उन्होंने पूछा कि पेगासस सॉफ्टवेयर से जो जानकारी हासिल की जा रही थी आखिर वह कहां-कहां जा रही थी?

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व सूचना तकनीक मंत्री अजीब बात करते हैं। वे कहते हैं कि 45 देशों में इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हो रहा था तो सिर्फ भारत की बात क्यों हो रही है। पवन खेड़ा ने कहा कि मौजूदा सूचना तकनीक मंत्री कहते हैं कि “कोई तथ्यात्मक जानकारी इस बात की नहीं है, ये बताने के लिए ये जो इकट्ठा किया जा रहा था डेटा, जो जानकारी इकट्ठी की जा रही थी, ये सर्विलेंस होता है। मंत्री जी मान रहे हैं कि जानकारी इकट्ठी की जा रही थी। मना कोई नहीं कर पा रहा।“

पवन खेड़ा ने कहा कि, “हम सब ये जानना चाहते हैं कि क्या नरेन्द्र मोदी जी को ये लगता है कि भारत के पत्रकार, भारत की सीबीआई के निदेशक, भारत की सीबीआई के और अधिकारी, भारत के उद्योगपति, भारत के विपक्ष के नेता, भारत के एक्टिविस्ट, क्या ये सब आतंकवादी हैं? क्या किसी आतंकवादी को आपने सीबीआई का निदेशक बना दिया था? क्या आप उन पर एंटी टेरर वाला जो सॉफ्टवेयर है, उसका इस्तेमाल कर रहे थे, वो भी एक विदेश से लाया गया सॉफ्टवेयर। इन तमाम प्रश्नों के जवाब देश बहुत दिनों से इंतजार कर रहा है, उन्हें नहीं मिल रहे हैं।“

उन्होंने कहा कि कल फ्रांस ने इस मामले की जांच का आदेश दिया, इजरायल ने भी जांच का आदेश दिया, मोरक्को और ब्राजील ने भी जांच शुरु की है, लेकिन हमारी सरकार इस मामले को टालरही है। उन्होंने कहा कि, “सरकार के अलग-अलग मंत्री अलग-अलग बयानबाजी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री तो हिम्मत जुटा नहीं पाएंगे इस पर एक शब्द बोलने की। जो आदमी राफेल के नाम से कांपता हो, जो आदमी चीन के नाम से कांपता हो, उससे क्या उम्मीद करेंगे हम जवाब देने की। लेकिन बाकी देश क्या कर रहे हैं और हमारा देश क्या कर रहा है, ये देख कर शर्म के मारे सिर झुक जाता है।“

उन्होंने दोहराया कि सरकार को साफ करना होगा कि उसने क्या पेगासस सॉफ्टवेयर सरकार या सरकार की किसी एजेंसी ने खरीदा? और अगर सरकार ने खरीदा तो क्या जो सॉफ्टवेयर आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने वाले लोगों पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए था, क्या वो अपने ही अधिकारियों, अपने ही राजनेताओं, अपनी पार्टी के नेताओं, पत्रकारों, एक्टिविस्ट, सुप्रीम कोर्ट से जुड़े हुए लोगों, क्या इन सब पर इस्तेमाल किया? और अगर सरकार ने नहीं इस्तेमाल नहीं किया, ये ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो सिर्फ सरकारों के बेचा जाता है, वो कंपनी कहती है, हम नहीं कह रहे हैं। तो फिर किस सरकार ने ये, मोदी सरकार के रहते हुए हमारे ही देश के नागरिकों पर किसने जासूसी की?

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined