बिहार इन दिनों एक घिनौनी वारदात को लेकर चर्चा में है। गया में एक शख्स के सामने ही उसकी 55 वर्षीय पत्नी और 15 वर्षीय पुत्री के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने बिहार में कथित सुशासन की पोल खोलकर रख दी है।
इस बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा छेड़खानी की घटना के बाद पहले राजभवन को सूचना देने के बयान ने यह साबित कर दिया है कि बिहार में आधी आबादी के साथ सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पुलिस विभाग के आंकड़े भी इस बात की तसदीक कर रहे हैं कि हाल के वर्षों में दुष्कर्म की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
विपक्ष के आधी आबादी के असुरक्षित रहने के दावे के बाद सत्ता पक्ष भले ही आरोपियों की गिरफ्तारी कर लेने के बयानों के बाद यह साबित करने की कोशिश में जुटी हो कि बिहार में कानून का राज है परंतु गया की घटनाओं ने बिहार शर्मसार कर दिया है, इससे किसी को इंकार नहीं है।
बिहार के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल भी मानते हैं कि हाल के दिनों में अपराध की घटनाओं में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, "छेड़खानी और बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने के लिए सरकार को छेड़खानी और सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों का एनकाउंटर शुरू करना होगा।"
उन्होंने कहा कि वैसे तो बिहार में लगभग जंगलराज समाप्त हो चुका है लेकिन अब भी कुछ अपराधी घटनाओं को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहे हैं।
पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों पर गौर करें तो साल दर साल दुष्कर्म की घटनाओं में वृद्धि हुई है। राज्य में इस साल मार्च महीने तक 289 दुष्कर्म की घटनाएं घट चुकी हैं जबकि पिछले वर्ष राज्य के विभिन्न थानों में 1,198 दुष्कर्म की घटनाएं प्रतिवेदित हुई थी।
इससे पहले 2016 में राज्यभर में जहां 1,008 दुष्कर्म की घटनाएं हुई थी वहीं 2015 में 1,041 व 2014 में 1,127 दुष्कर्म की घटनाएं घटी थी। इसी तरह 2013 में 1,128 जबकि 2012 में 927 दुष्कर्म की घटनाएं ही राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज की गई थी। वर्ष 2010 में पूरे राज्य में 795 दुष्कर्म की घटनाएं घटी थीं।
पिछले दिनों राज्य के कई जिलों में छेड़खानी का वीडियो वायरल होने की घटनाओं का नया ट्रेंड प्रारंभ हुआ है। पिछले दिनों राज्य के नालंदा, जहानाबाद, कैमूर में लड़की के साथ छेडखानी का वीडियो वायरल करन की घटना प्रकाश में आई है। पुलिस इन मामलांे में संज्ञान लेकर भले ही आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी हो, परंतु समाज में फैल रहे ऐसी घटनाओं को मानसिक विकृति ही माना जा रहा है।
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मनोवैज्ञानिक बिंदा सिंह दुष्कर्म और छेड़खानी की बढ़ती घटनाओं का मुख्य कारण अकेलापन को मानती हैं। वे कहती हैं, "कुछ ज्यादा उम्र के लोग पीडियोफिलिया (बाल यौन अपराध) बीमारी से ग्रस्?त रहते हैं। ऐसे में ये कम उम्र की बच्चियों को अपना शिकार बनाते हैं। उन्हें लगता है कि ये बच्चियां किसी से कुछ कहेंगी नहीं। इसके पीछे भी अकेलापन एक हद तक जिम्मेवार होता है।"
उन्होंने इसके लिए इंटरनेट को भी हद तक जिम्मेवार माना है। उनका कहना है कि आज बच्चे या युवा अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए इंटरनेट कस सहारा ले रहे हैं, जिसमें कई अश्लील सामग्री भी हैं।
इधर, पुलिस मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि राज्य में घटनाएं घटी हुई हैं, तो त्वरित कार्रवाई भी हो रही है। गया वाले मामले में भी अब तक 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है तथा अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।
गौरतलब है कि दो दिन पूर्व राज्यपाल ने एक समारोह में लड़कियों और महिलाओं से अपील करते हुए कहा था, "अगर आपके साथ कोई छेड़खानी करता है तो थाने बाद में जाइए, पहले फोन कॉल राजभवन में कर दीजिए। वहां के अधिकारी आपके साथ जाकर आपकी रिपोर्ट थाने में लिखवाएगा, इससे बुरी कोई बात नहीं हो सकती है कि हम अपनी बच्चियों की सम्मान की रक्षा न कर सकें।"
बहरहाल, गया की घटना के बाद विपक्ष सत्तापक्ष पर लगातार निशाना साध रही है, ऐसे में अब देखना होगा कि सरकार अपराधियों पर लगाम लगाने में कब तक सफल होती है।
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