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तमिलनाडु: बेमौसम बारिश से कई जिलों में किसानों की बढ़ी मुश्किलें, सैकड़ों एकड़ धान की फसल जलमग्न

ओराथानाडु, तंजावुर और अम्मापेट्टई जैसे इलाकों में खड़ी फसल अभी भी जलभराव की स्थिति में है और अनुमान है कि 1,500 एकड़ धान की फसल अब भी जलमग्न है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

तमिमलनाडु में भारी बारिश से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पिछले कुछ दिनों में हुई बेमौसम और भारी बारिश ने तमिलनाडु के तंजावुर जिले में धान की फसल को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया है, जिससे कटाई के लिए तैयार खेतों का एक बड़ा हिस्सा जलमग्न हो गया है।

वहीं, तिरुनेलवेली में लगातार बारिश से अंबासमुद्रम में खड़ी धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। किसानों ने कृषि विभाग से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने और मुआवजा देने की अपील की है।

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धान उत्पादक क्षेत्र में संकट गहराया

भारी बारिश ने तमिलनाडु के प्रमुख चावल उत्पादक क्षेत्रों में से एक तंजावुर जिले के सैकड़ों किसानों को संभावित फसल नुकसान को लेकर चिंतित कर दिया है।

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1,500 एकड़ फसल अब भी जलमग्न

कृषि विभाग के अनुसार, इस वर्ष 1.99 लाख एकड़ में धान की खेती की गई थी, जिसमें से 1.65 लाख एकड़ की कटाई हो चुकी है। हालांकि, ओराथानाडु, तंजावुर और अम्मापेट्टई जैसे इलाकों में खड़ी फसल अभी भी जलभराव की स्थिति में है और अनुमान है कि 1,500 एकड़ धान की फसल अब भी जलमग्न है।

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पानी नहीं निकला तो भारी नुकसान

बारिश के कारण धान की बड़ी फसलें नष्ट हो गई हैं और पानी जमा होने के कारण किसान खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

किसानों का कहना है कि अगर पानी जल्दी नहीं निकला तो इस अप्रत्याशित बारिश से फसल को भारी नुकसान हो सकता है। ओराथानाडु के कई किसानों ने कहा,

"जो फसल कटाई के लिए तैयार थी, वह अब पानी में डूबी हुई है। अगर हम अभी कटाई भी कर लें तो भी अनाज की गुणवत्ता खराब होगी।"

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सरकारी खरीद केंद्रों की देरी से बढ़ी परेशानी

उन्होंने आगे बताया कि सरकारी खरीद केंद्रों ने समय पर काम शुरू नहीं किया, जिससे कई केंद्रों को कटाई में देरी करनी पड़ी। कृषि विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि पानी जितना ज्यादा देर तक रहेगा, अनाज की गुणवत्ता और मिट्टी की संरचना दोनों को उतना ही ज्यादा नुकसान होगा।

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कटाई की लागत बढ़ी, किसानों पर असर

खेत अभी भी पानी में डूबे हुए हैं, इसलिए यांत्रिक हार्वेस्टर किराये पर लेने की लागत भी बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि गीली भूमि पर मशीनरी चलाना कठिन है और इससे खर्च काफी बढ़ जाता है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति और खराब हो जाती है।

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फसल क्षति का आकलन और राहत की मांग

राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारी फसल क्षति की सीमा का आकलन कर रहे हैं। किसान संगठनों ने राज्य सरकार से प्रभावित लोगों के लिए राहत उपायों और मुआवजे की घोषणा करने का आग्रह किया है।

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